Bihar Panchayati Raj Kya Hai: बिहार पंचायती राज, बिहार राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय प्रशासन की एक प्रणाली है, जिसके द्वारा अधिनियम पंचायत राज़ संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया जाता है, जिसमें ग्राम पंचायत पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल होते हैं.
बहुत से छात्र ऐसे हैं जिन्हें बिहार पंचायती राज़ के बारे में पूरी जानकारी नहीं है तो आइए आज के इस (Bihar Panchayati Raj Kya Hai) आर्टिकल में हम आपको बिहार पंचायती राज क्या है? पंचायती राज़ व्यवस्था का इतिहास और विकास क्या है? बिहार पंचायती राज़ की तीन स्तरीय संरचनाएँ, बिहार पंचायतीराज अधिनियम 2006 क्या है? ग्राम पंचायत में कौन कौन से पद होते हैं और इनके क्या कार्य होते हैं? पंचायती राज से जुड़ी प्रमुख योजनाएं कौन सी है? और बिहार पंचायती राज 2025 से संबंधित नई अपडेट्स कौन सी है? आदि के बारे में विस्तार से बताएंगे, तो अगर आप भी बिहार पंचायती राज से संबंधित पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस Bihar Panchayati Raj Kya Hai आर्टिकल को पूरा पढ़ें.
बिहार पंचायती राज क्या है? — संक्षिप्त परिचय
बिहार पंचायती राज़, बिहार राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय स्वशासन प्रणाली है जो 73वें संविधान संशोधन के अधिनियम 1992 के अनुरूप है, इस प्रणाली के अंतर्गत पंचायतराज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया जाता है जिससे ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल होते हैं. बिहार पंचायती राज़ का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं को लागू करना और उनका कार्यान्वयन करना होता है.

पूरी जानकारी विस्तार से-
त्रि-स्तरीय प्रणाली
बिहार राज्य में पंचायती राज़ व्यवस्था त्रि-स्तरीय है जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल होते हैं.
संवैधानिक दर्जा
बिहार पंचायती राज, 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है, जिससे उन्हें अधिक स्वायत्तता और अधिकार प्राप्त है.
ग्राम स्वराज
बिहार पंचायत राज़ का मुख्य उद्देश्य ग्राम स्वराज की स्थापना करना है जिससे ग्रामीण समुदाय के लोगों को अपने मामलों के निर्णय लेने का अधिकार हो.
शक्तियां का विकेंद्रीकरण
बिहार पंचायत राज व्यवस्था द्वारा शक्तियां का विकेंद्रीकरण करके स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत बनाया जाता है.
महिला सशक्तीकरण
पंचायत राज में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे ग्रामीण विकास में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.
जवाबदेही और पारदर्शिता
बिहार पंचायत राज द्वारा संस्थाओं को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे वे अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें
सामाजिक न्याय
बिहार पंचायत राज का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय को बढ़ाना है, जिसमें समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को विकास योजनाओं में शामिल किया जाता है.
पंचायती राज व्यवस्था का इतिहास और विकास
बिहार पंचायती राज़ व्यवस्था का इतिहास और विकास 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के बाद महत्वपूर्ण रूप से बदल गया, इस संशोधन में पंचायती राज़ संस्थाओं को संवैधानिक प्रदान किया गया और एक समान संरचना, चुनाव और वित्तपोषण प्रणाली की स्थापना की है.
इतिहास
भारत में ग्राम पंचायत प्राचीन काल से ही है और वैदिक काल से ही गांव को शासन की बुनियादी का माना जाता रहा है.
ब्रिटिश काल
ब्रिटिश सरकार ने भी पंचायती राज़ व्यवस्था को स्थापित करने की कोशिश की और 1920 में ब्रिटिश सरकार द्वारा एक अधिनियम पारित किया गया.
स्वतंत्रता के बाद
1947 में स्वतंत्रता के बाद बिहार पंचायत राज़ अधिनियम लागू किया गया, जिसके अनुरूप ग्राम पंचायतों की स्थापना की गई.
त्रि-स्तरीय प्रणाली
साल 1961 में, बिहार पंचायत समिति जिला परिषद अधिनियम लागू किया गया है, जिससे त्रि-स्तरीय पंचायती राज़ प्रणाली शुरू की गई, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल किए जाते थे.
संवैधानिक दर्जा
73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में, पंचायती राज़ संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, जो उन्हें और मजबूत बनाती है.
बिहार पंचायत राज़ अधिनियम, 2006
बिहार पंचायत राज़ अधिनियम, 2006 ने 73वें संविधान संशोधन के प्रावधनों को लागू किया और त्रि-स्तरीय पंचायती राज़ व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया है.
बिहार पंचायती राज़ व्यवस्था का विकास
ग्राम पंचायत
ग्राम पंचायत का गठन ग्रामीण स्तर पर होता है, जो गांव के विकास और कल्याण के लिए होता है.
पंचायत समिति
पंचायत समिति का गठन खंड स्तर पर किया जाता है, जो ग्राम पंचायतों के कार्यों की देखरेख करती है.
जिला परिषद
जिला परिषद का गठन जिला स्तर पर होता है, जो पंचायत समिति के कार्यों की निगरानी करती है और जिला स्तर पर नई विकास योजनाओं को लागू करती है.
वित्तीय प्रावधान
पंचायतों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने के सरकार द्वारा तरह तरह की योजनाएं चलाई जाती है और कर लगाने का अधिकार भी पंचायतों को दिया गया है.
महिलाओं और कमजोर वर्गों का आरक्षण
पंचायती राज़ व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को आरक्षण का प्रावधान भी है, जिससे उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.
पंचायती राज की तीन स्तरीय संरचना
बिहार पंचायती राज़ व्यवस्था तीन स्तरीय है, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल होते हैं. ये तीनों स्तर मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में शासन और विकास की प्रक्रिया को संचालित और कार्यान्वित करते हैं.
विस्तार से-
ग्राम पंचायत
ये सबसे निचले स्तर होता है, जो एक गांव या गांव के समूहों का प्रतिनिधित्व करता है.
पंचायत समिति
यह ब्लॉक स्तर पर काम करती है और कई पंचायतों को मिलाकर एक पंचायत समिति बनती है.
जिला परिषद
यह सबसे ऊपरी स्तर होता है जो पूरे जिले के लिए योजनाएं और विकास की प्रक्रिया को संचालित करती हैं.
इन तीनों स्तर के द्वारा बिहार में पंचायती राज़ व्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास और शासन सुनिश्चित होता है.
बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 क्या है?
बिहार पंचायत राज व्यवस्था अधिनियम 2006, 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप है. बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज़ प्रणाली को स्थापित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्वशासन में आम लोगों की भागीदारी बढ़ाना और कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों और महिलाओं की सम्मानजनक भागीदारी सुनिश्चित करना है.
ध्यान देने योग्य बातें
- बिहार पंचायती राज़ अधिनियम 2006, द्वारा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद नामक तीन स्तरों पर पंचायत राज़ संस्थाओं की स्थापना की जाती है.
- प्रत्येक राजस्व ग्राम में ग्राम सभा का गठन किया जाता है जिसमें उस गाँव के सभी मतदाताओं का शामिल होना आवश्यक है.
- महिलाओं और कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों को सीटों का आरक्षण दिया गया है, उनकी जनसंख्या के अनुपात में.
- पंचायत राज़ संस्थाओं द्वारा अपने कार्यों को प्रभावी निष्पादन के लिए सदस्यों में से चुनाव दौरान विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है.
- एक जिला योजना समिति का गठन किया गया है, जिससे जिले के लिए एक एकीकृत विकास योजना तैयार की जा सके.
- पंचायतों के चुनाव निष्पक्ष रूप से और समय समय पर कराने के लिए एक निर्वाचन आयोग का गठन भी हुआ है.
- गांव की पंचायतों को सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के लिए कार्यक्रम और योजनाएं बनाने और लागू करने की जिम्मेदारियां दी गई है.
ग्राम पंचायत में प्रमुख पद और उनकी जिम्मेदारियाँ
बिहार ग्राम पंचायत में कई पद होते हैं, जैसे- मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य. इन पदों पर कार्य करने वाले उम्मीदवारों की जिम्मेदारियां अलग-अलग होती है, लेकिन सभी का लक्ष्य ग्राम पंचायत का विकास और कल्याण करना होता है.
प्रमुख पद और उनकी जिम्मेदारियां-
मुखिया
- ग्राम पंचायत का प्रमुख प्रतिनिधि मुखिया होता है और ग्राम सभा ग्राम पंचायत की बैठकों की अध्यक्षता मुखिया ही करता है.
- मुखिया द्वारा ग्राम पंचायत के कार्यों का संचालन किया जाता है और समय समय पर विकास की योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की होती है.
- मुखिया ग्राम पंचायत के विकास के लिए योजनाएं तैयार करते हैं और उनको कार्यान्वित करते हैं.
सरपंच
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में कचहरी होती है जिसका प्रमुख सरपंच होता है.
- सरपंच ग्राम कचहरी में व्यवस्था को संचालित करता है और गांव में शांतिपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
- ग्राम पंचायत की बैठकों में सरपंच भाग लेते हैं और विकास योजनाओं पर अपनी राय देते हैं.
पंचायत समिति सदस्य
- पंचायत समिति सदस्य ग्राम पंचायत और जिला परिषद के बीच कड़ी के रूप में कार्य करता है.
- ये ग्राम पंचायत की योजनाओं को पंचायत समिति में बताते है और योजनाओं को ग्राम पंचायत में लागू करने में मदद करते है.
जिला परिषद सदस्य
- जिला परिषद सदस्य जिला स्तर पर विकास योजनाओं को लागू करने में मदद करते हैं.
- ये जिला स्तर पर कार्य करते हैं और ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के कार्यों की निगरानी भी करते है.
वार्ड सदस्य
- प्रत्येक वार्ड से सदस्य निर्वाचित किया जाता है.
- ये अपने वार्ड की समस्याओं को मुखिया तक पहुंचाते हैं और विकास योजनाओं में मदद करते हैं.
पंच
- प्रत्येक वार्ड से पंच का चुनाव किया जाता है.
- पंचग्राम कचहरी में सरपंच के साथ मिलकर न्याय व्यवस्था में मदद करते हैं.
इन पदों के अलावा ग्राम पंचायत में एक पंचायत सचिव का पद भी होता है जो ग्राम पंचायत का प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करता है.
Read Also: Assistant Director Kaise Bane (2025): योग्यता, चयन प्रक्रिया और सैलरी
पंचायती राज से जुड़ी प्रमुख योजनाएं (जैसे मनरेगा, आवास योजना)
पंचायती राज से जुड़ी प्रमुख निम्नलिखित हैं, जैसे- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) आदि. इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास, रोजगार, आवास और आजीविका के अवसरों को बढ़ाना है. ये सभी योजनाएं ग्रामीण विकास और पंचायती राज्य मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित होती है और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.
विस्तार से-
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
- इस योजना के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन को सुनिश्चित रोजगार की गारंटी दी जाती है, जिससे ग्रामीण लोगों को आजीविका के अवसर मिल सकता है.
- इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण के द्वारा, पात्र परिवार 90.95 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना
- इस योजना के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बेघर बिना आवास वाले परिवारों को पक्का घर उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है.
- इस योजना का उद्देश्य गरीब और बेघर परिवारों को आवास सुनिश्चित करना है.
- यह योजना 3.32 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखती है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- इस योजना के द्वारा ग्रामीण गरीबों को स्वयं सहायता समूह के द्वारा संगठित करके उनकी आजीविका में सुधार करने में मदद किया जाता है.
- इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को आजीविका के अवसर प्रदान करना है.
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और गरीबी से उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
पंचायती राज की भूमिका बिहार के विकास में
बिहार में पंचायती राज़ व्यवस्था, बिहार राज्य के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में एक आधारशिला साबित हुई है. ये ना सिर्फ ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को सशक्त करती है, बल्कि योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.
पंचायती राज द्वारा बिहार की जनता को निर्णय लेने की शक्ति दी है, लोग सीधे ग्राम सभा में अपनी समस्याएं रख सकते हैं और योजनाओं में भागीदारी कर सकते हैं. पंचायती राज द्वारा महिलाओं को आरक्षण भी दिया जाता है.
Bihar Panchayati Raj 2025: नई अपडेट्स और बदलाव
बिहार पंचायत राज़ अधिनियम 2006 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं 2025 में त्रि-स्तरीय पंचायतों और ग्राम कचहरी के सदस्यों और अध्यक्ष के पदों में अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के साथ साथ दोनों वर्ग की महिलाओं को 50% क्षैतिज आरक्षण दिया गया है.
इसके अलावा योजनाओं के कार्यान्वयन पर कड़ी निगरानी रखने और वार्ड पंचायत को उचित परामर्श देने के लिए प्रत्येक वार्ड स्तर पर सतर्कता समितियों का गठन भी इसी अधिनियम के अंतर्गत किया गया है.
अन्य जरूरी बातें
- गांव के सभी मतदाताओं द्वारा ग्राम सभा का गठन किया जाता है.
- ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 5 साल का होता है.
- विभाग द्वारा तकनीकी सहायक के खाली पदों पर भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया पहले दिए गए नोटिफिकेशन में दी गयी है और वर्तमान में विभाग द्वारा इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
- ई-ग्राम कचहरी पोर्टल और ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर 13/06/2025 तक का विवरण दिया गया है.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
बिहार में पंचायती राज़ व्यवस्था कब शुरू हुई थी?
बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज़ प्रणाली 2 अक्टूबर 1959 को लागू की गई थी.
पंचायती राज़ व्यवस्था में कितने स्तर होते हैं?
पंचायती राज़ व्यवस्था में तीन स्तर होते हैं- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद.
बिहार के ग्राम पंचायत का प्रमुख कौन होता है?
बिहार के ग्राम पंचायत का प्रमुख मुखिया होता है.
पंचायती राज़ संस्थाओं के चुनाव कौन कराता है?
पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission कराता है.
क्या पंचायती राज़ संस्थाओं को वित्तीय अधिकार प्राप्त है?
हाँ पंचायती राज संस्थाएँ टैक्स शुल्क आदि लगा सकते हैं और योजनाओं के लिए निधि प्राप्त करने का अधिकार भी है.
ग्राम सभा क्या है?
ग्राम पंचायत क्षेत्र के सभी पंजीकृत मतदाताओं की सभा, जो योजनाओं और कार्यों पर निर्णय लेती है उसे ग्रामसभा कहा जाता है.
महिलाओं को पंचायत चुनाव में कितना आरक्षण दिया गया है?
महिलाओं को पंचायत चुनाव में 50% तक आरक्षण दिया गया है.
बिहार पंचायती राज़ अधिनियम 2006 क्या है?
बिहार पंचायती राज़ अधिनियम 2006 पंचायती राज़ संस्थाओं को और अधिक प्रभावी और संवैधानिक बनाने के लिए बनाया गया है.
निष्कर्ष: क्या पंचायत प्रणाली लोकतंत्र की जड़ है?
हाँ पंचायत प्रणाली लोकतंत्र की जड़ है, यह भारत जैसे बड़े देश में नींव स्तर पर लोकतंत्र की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति है. पंचायत प्रणाली द्वारा जन-जन को शासन प्रणाली से जोड़ना, उन्हें निर्णय लेने, योजनाएं बनाने और जवाबदेही तय करने का अधिकार भी दिया गया है.